जगदलपुर बैंक कर्मियों ने वेतन वृद्धि, भत्ता एवं अन्य सेवा-सुविधाओं की मांग को लेकर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक कर्मचारियों ने जगदलपुर संभागीय कार्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन की है
बैंक कर्मचारी संघ ने “वेतन वृद्धि स्वीकृत नहीं होने” के विरोध में पहले कालीपट्टी लगाकर प्रदर्शन की उसके बाद एक दिवसीय कलमबंद प्रदर्श अब जाकर दिवसीय हड़ताल की
जगदलपुर में बैंक कर्मचारियों ने 17 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी थी।
प्रमुख मांगें
वेतन वृद्धि स्वीकृति: बैंक कर्मचारियों का कहना है कि पिछले पाँच वर्षों से वेतन वृद्धि प्रस्ताव पंजीयक एवं सहकारी संस्थाओं द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है।
भुगतान प्रक्रिया में देरी तथा सेवा-स्थितियों में सुधार की आवश्यकता। जगदलपुर संभाग के में बैंक कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर वेतन वृद्धि लागू नहीं हुई तो धान खरीदी और भुगतान प्रभावित हो सकता है।
पर्याप्त स्टाफिंग एवं अधीनस्थ श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की माँग। जगदलपुर मामले में कर्मचारियों ने कहा था कि बैंक में 20% स्टाफ है, फिर भी लक्ष्य पूरे किए गए। बैंक में 800 स्टाफ में से सिर्फ 200 स्टाफ ने ही अपनी जिम्मेदारी निखा रहे है
वर्तमान स्थिति एवं प्रभाव
जगदलपुरसंभग कि कर्मचारी अक्टूबर से चरणबद्ध हड़ताल पर हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि 17 नवंबर से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।
इस हड़ताल-प्रदर्शन का असर “धान खरीदी” प्रक्रिया पर हो सकता है क्योंकि बैंक कर्मचारी भुगतान इत्यादि कामकाज में बाधा डाल सकते हैं।
बैंक कर्मियों द्वारा सामूहिक अवकाश लिया जाना, बैंक की नियमित सेवा-स्थितियों पर असर डालने का संकेत है।
विश्लेषण
कर्मचारियों की माँगें मुख्य रूप से आर्थिक (वेतन, भत्ता) तथा सेवा-सुविधा (भविष्य निधि, नियमितीकरण, स्टाफिंग) से जुड़ी हैं।
बैंकिंग तथा सहकारी बैंकिंग प्रणाली में इस तरह की हड़ताल-प्रदर्शन से खाते-धारकों, किसानों तथा सहकारी समितियों को प्रत्यक्ष असर हो सकता है क्योंकि बैंकिंग कार्य, भुगतान प्रक्रिया और ऋण-प्रबंधन ठप हो सकते हैं।
सरकार-सहकारी संस्थाओं एवं बैंक के बीच संवाद यदि नहीं होगा तो यह आंदोलन लंबित हो सकता है, जिससे बैंकिंग कार्यवाही तथा सार्वजनिक भरोसा प्रभावित हो सकता है।
कर्मचारी-संघों को यह देखना होगा कि हड़ताल का असर व्यापक बैंकिंग सेवा बाधा न बनाए, अन्यथा उनका सार्वजनिक समर्थन कम हो सकता है।
सुझाव
सरकारी एवं सहकारी बैंक प्रबंधन को शीघ्र ही बैठक बुलानी चाहिए और कर्मचारियों की मांगों को सूचीबद्ध कर उनकी समय-सीमा तय करनी चाहिए।
कर्मचारियों को आंदोलन हेतु एक ठोस रणनीति बनानी चाहिए जिसमें हितधारकों (जैसे किसानों, खाते-धारकों) को समझाना शामिल हो ताकि आंदोलन का कारण और प्रभाव स्पष्ट हो।
बैंकिंग सेवा निरंतर बनी रहे, इसके लिए बैकअप प्लान तैयार रखना चाहिए ताकि कामकाज पूरी तरह से रुके नहीं।
मीडिया एवं सार्वजनिक संवाद के माध्यम से ग्राहकों एवं जनता को प्रभावित होने वाली सेवा-विस्थापन के बारे में समय-समय पर जानकारी दी जानी चाहिए।
