महाअष्टमी के दिन शहर में माता रानी की जयकारों से गूंज उठा और सभी मंदिरों में हवन पूजन के साथ नौ कन्याओं की पूजा-अर्चना की गई। बंगीय समाज के दुर्गा पंडाल में एक अलग ही नजारा देखने को मिला, जहां माता की उपासना में व्रत रखें भक्तों ने पुष्पांजलि देकर माता से आशीर्वाद लिया।
*बंगीय समाज की पूजा परंपरा:*
- *माता दुर्गा को बेटी के रूप में पूजा*: बंगीय समाज में माता दुर्गा को बेटी के रूप में पूजा किया जाता है और माना जाता है कि माता दुर्गा अपनी पूरा परिवार के साथ धरती लोक में अपनी मायका में आती है।
- *नौ दिनों तक पूजा*: माता दुर्गा को पूरे नौ दिन तक बेटी मानकर पूजा किया जाता है और नवमी में महिलाओं ने माता को सिंदूर लगाते हुए अपनी सुहाग की रक्षा की कामना करते हैं।
- *विजय दशमी के दिन विदाई*: विजय दशमी के दिन माता की विदाई देते हुए अगले वर्ष पुनः आने की निमंत्रण देते हैं।
*पूजा के दौरान विशेष आयोजन:*
- *भंडारा*: शहर में हर दुर्गा पंडालों में भंडारा का आयोजन देखने को मिला, जहां भक्तों ने प्रसाद वितरण किया।
- *महाभण्डारा*: बंगीय समाज के महिलाओं ने महाभण्डारा की प्रसाद वितरण की और प्रसाद खिचड़ी प्रसाद वितरण किया।
*श्रद्धालुओं की भागीदारी:*
- *बढ़चढ़ कर पूजा में शामिल होना*: श्रद्धालुओं ने बढ़चढ़ कर इस पूजा में शामिल हुए और माता की उपासना में व्रत रखें भक्तों ने पुष्पांजलि देकर माता से आशीर्वाद लिया।
