सुकमा ;-यह एक बहुत ही दुखद और अन्यायपूर्ण स्थिति का वर्णन करता है जिसमें मिंटूपद राय और उनके परिवार को अपनी निजी भूमि के लिए न्याय पाने के लिए 16 वर्षों से संघर्ष करना पड़ रहा है।
कमिश्नर न्यायालय के आदेश के बावजूद कलेक्टर की हठधर्मिता के कारण पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है। यह स्थिति न केवल पीड़ित परिवार के लिए अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और आदेशों की अवहेलना के कारण आम जनता को न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।
इस मामले में कमिश्नर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कलेक्टर के आदेश अलाविधिसम्मत नहीं हैं और उन्होंने कलेक्टर को आदेश दिया है कि अपीलार्थी को जांच प्रतिवेदन के बारे में सूचित किया जाए और उन्हें न्याय प्रदान किया जाए। लेकिन इसके बावजूद भी पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है।
यह स्थिति प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है और यह भी दर्शाती है कि आम जनता को न्याय पाने के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
